Friday, April 17, 2020

Aaj Nahi

एक एक पल लगा,
तुम्हें अपना बनाने में ,
गैर करने में भी,
पर आज नहीं।

उस वक़्त के गाने,
मुस्कुराने के कई,
 ग़म के भी कई,
पर आज नहीं।

सफ़र के वो नज़ारे,
तुम्हारे पास आने के,
 दूर जाने के भी,
पर आज नहीं।

कई नाम होते थे अपने,
प्यार के खूब,
नफ़रत के भी कितने,
पर आज नहीं।

सवालों के जवाब,
इकरार के बहाने,
ना करने के भी लाजवाब,
पर आज नहीं।

नाम से तुम्हारे,
मचलते थे हम,
तड़पते भी थे बेसहारे,
सिर्फ, आज नहीं।