अच्छी अच्छी बातें करता,
सब कुछ आसानी से मान लेता,
दूसरों की गलतियां भूल जाता,
ऐसा है वो इंसान.
सब में खुद को मिला लेता,
नौकरी क लिए दूर चल जाता,
पर फ़र्ज़ को दिल से निभाता,
ऐसा है वो इंसान.
कुछ दिनों बाद शादी रचाता ,
फ़र्ज़ को दिल से निभाता,
पर सब से दूर चला जाता,
वैसा है वो इंसान.
सब को खुद से मिला के रखता,
दूसरों की गलतियाँ भूलना चाहता,
आसानी से और कुछ भी नहीं होता,
वैसा है वो इंसान.
क्यों, कैसे, क्या क्या हो जाता,
बदलना क्या इतना आसान होता,
सोचते सोचते दिन बीत जाता,
शायद, वैसा ही है वो इंसान.
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