सपनों के तकिये पे,
आंखों के द्वार से,
सच्चाई की कठोरता से अंजान,
मै चलूंगा।
कुछ दोस्त ही है अपने,
चंद हसीं के खुल्लो से,
वसुल कर हर एक क्षण,
मै चलूंगा।
इच्छाएं है आसमान सी,
उम्मीदें बिखर रही सूरज की,
रोशन कर मेरा जहां,
मै चलूंगा।
कहानी अब तक,ना कोई मेरी,
बर्दास्त कर रहा, हकीकत मेरी,
कुछ कम, कुछ ज्यादा,
मै चलूंगा।
आंखों के द्वार से,
सच्चाई की कठोरता से अंजान,
मै चलूंगा।
कुछ दोस्त ही है अपने,
चंद हसीं के खुल्लो से,
वसुल कर हर एक क्षण,
मै चलूंगा।
इच्छाएं है आसमान सी,
उम्मीदें बिखर रही सूरज की,
रोशन कर मेरा जहां,
मै चलूंगा।
कहानी अब तक,ना कोई मेरी,
बर्दास्त कर रहा, हकीकत मेरी,
कुछ कम, कुछ ज्यादा,
मै चलूंगा।